भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रगतिशीलता / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:05, 10 अगस्त 2015 के समय का अवतरण
दया-कृपा-करुणा ई सब किछु
सड़ल, पुरातन थिक परम्परा,
प्रगतिशीलताकेर नाम पर
आइ मनुजता रहल थरथरा।
लाज-धाख रखइत छी ककरो?
तँ भीतरसँ अहाँ फोंक छी,
माय-बापकेर कहल करै’ छी?
टहल करै’छी? बूड़ि लोक छी।