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सड़क-महल-पुल बनतै’ पाछाँ,
पहिने पास कराय लिअऽ बिल,
फूसि बजै’ छी? नीक करै’ छी,
एहने लोक कहाबय काबिल।
लय कय सत्यक नाम, फूसि
बजलासँ कोनो दोष न होइ’ छै
कहिते छै’ बैमान लोक, तेँ
बुधियरबाकेँ रोष न होइ’ छै।