भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेरी प्यारी बुलबुल / असंगघोष" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असंगघोष |अनुवादक= |संग्रह=मैं दूँ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:53, 14 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

तुमने कहा
कि यह गुलदुम बुलबुल है
मैंने मान लिया
पल भर
लेकिन मेरे लिए तो
आज भी यह
वही बुलबुल है जो
रहती है
जोड़े से
आंगन के नीम पर
कभी-कभी
चहकती हुई
कूदती-फाँदती
चली आती है
आम व जामुन
पर भी
और देखती है
मेरी ओर
अपना सिर
तिरछा किए
बड़ी नाजो-अदा के साथ
प्यार से पुकारती है
दीऽऽऽऽऽप!