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"जवानी और जमाना / श्यामनन्दन किशोर" के अवतरणों में अंतर

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जवानी-जिनके-जिनके पास,
जमाना - उनसे-उनसे दूर।

जवानी-मस्ती, हँसती जलन।
जवानी-दो प्राणों का मिलन।
जवानी-हास, जवानी-रुदन।
जवानी-तन-मन का संतुलन।

जमाना-विधुर हृदय सुनसान,
जवानी का अश्रय सिन्दूर।

जवानी-पढ़ती नहीं कुरान।
जवानी-पढ़ती कभी न वेद।
जवानी-मलयानिल की लहर
मिटाती-शूल-फूल का भेद।

जमाना-रहा बाँटता ज्ञान,
जवानी-देती रही सुरूर!

जवानी-जलता हुआ चिराग।
जवानी-उड़ता हुआ पराग।
महल-कुटिये पर एक समान
जवानी-पूनो की मुस्कान।

जमाना-सादा जुटाता रहा,
जवानी-लुटने को मजबूर

जवानी-लहरों की झकझोर।
जवानी-चढ़ी उमर का भोर।
बदलती रहती धार-कछार,
जवानी-है गंगा की बाढ़।

जमाना-शिथिल नसों का खून।
जवानी-ताकत है भरपूर।

जवानी- जीवन का जलजात।
जवानी- दो नयनों की बात।
जवानी- है पीड़ा का मीत।
दिवानी मीरा का संगीत।

जवानी-तन से मन से मोम,
जमाना- सादा-सदा से क्रूर।
जवानी जिनके-जिनके पास
जमाना उनसे-उनसे दूर।

जवानी- जिनके-जिनके पास
जमाना- उनका-उनका दास।

जवानी- लिये कफन का हार।
जवानी- तलवारों की धार।
जवानी- पत्थर का अंगार।

जमाना के पन्नों पर रोज
जवानी लिखती है इतिहास।

जवानी- बरसाती तूफान।
जवानी- महाप्रलय का गान।
जवानी- अपना देकर खाद
जमाना करती है आबाद।

जमाना लहराता है सदा
जवानी का लेकर मधुमास!

जवानी- नयी उमंग, उबाल।
जवानी- खूँ की चुनरी लाल।
जवानी- जीवन की दुपहरी।
जवानी- मँझधारों की तरी।

जमाना का डगमग-सा पाँव,
जवानी भरती है विश्वास।

जवानी-मिट्टी का ईमान।
जवानी-राणा का अभिमान।
जवानी-सहज, कठिन बलिदान।
जवानी-शंकर का विषपान।

जमाना को तिल-तिल जल मौन
जवानी देती रही प्रकाश।
जवानी- करती शान्ति-प्रदान।
जवानी- करती क्रान्ति-विधान,
देखकर युग का तिमिर-वितान।
जवानी- लाती नया विहान।

जमाना करने को निर्माण,
जवानी करती रही विनाश।
जवानी-जिनके-जिनके पास,
जमाना- उनसे-उनसे दूर,
जमाना- उनका-उनका दास।

(14.7.49)