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♦ रचनाकार: अज्ञात
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जसोदा तेरे लाला ने मेरी मटुकी फोरी री॥ टेक
हम दधि बेचन जात वृन्दावन मिलि ब्रज गोरी री।
गैल रोकि के ठाड़ौ पायौ, कीनी झकझोरी री॥
दही सब खाय मटुकिया फोरी बाँह मरोरी री।
लै नन्दरानी हमने तिहारी नगरी छोड़ी री॥
चोरी तो सब जगह होय तेरे ब्रज में जोरी री।
नाम बिगारौ तिहारौ याने बेशरमाई ओढ़ी री।
सारी झटक मसक दई चोली, माला तोरी री।
कहै ‘शिवराम’ चिपकारी भरिकें खेलौ होरी री॥