भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मृगनैनी तेरौ यार / ब्रजभाषा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=ब्रजभाष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:44, 27 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
मृगनैनी तेरौ यार नवल रसिया, मृगनैनी॥ टेक
बडत्री-बड़ी अँखियन नैनन कजरा 2
तेरी टेड़ी चितवन मेरे मन बसिया॥ मृगनैनी.
अतलस को याकौ लँहका सोहै 2
झूमक सारी मेरे मन बसिया, मेरे मन...॥
छोटी-छोटी अंगुरिन मूंदरी सोहै।
याके बीच आरसी मन बसिया, ओ मन...॥ मृगनैनी.
बाँह बरा बाजूबन्द सोहै 2
हियरे हार दिपत छतिया, ओ दिपत॥
रंगमहल में सेज बिछाई 2
यापै लाल पलंग पँचरंग तकिया, ओ पचरंग...॥ मृगनैनी.
‘पुरुषोत्तम प्रभु’ देख विवश भये 2
सबै छाँड़ि ब्रज में बसिया, ओ ब्रज में...॥ मृगनैनी.