भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तोय राखूँगी भवन रखवारौ / ब्रजभाषा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=ब्रजभाष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

03:52, 27 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लाँगुरिया तोय राखूँगी भवन रखबारौ॥ टेक॥
जा दिन लाँगुर तैने जन्म लियौ है,
पर्वत पै बजौ है नगारौ॥ लाँगुरिया तोय.
जा दिन लाँगुर मैंने गोद रे धारो,
और कच्चे दूधन पारौ॥ लाँगुरिया तोय.
जा दिन लाँगुर तैनें होश है सँभारो
जय-जय मात उचारौ॥ लाँगुरिया तोय.
जा दिन लाँगुर तैनें खेल खिलायौ,
मैंया ने नाच रचाओ॥ लाँगुरिया तोय.
जा दिन व्यास तेरे दरश करेगो,
वा दिन होय निस्तारो॥ लाँगुरिया तोय.