भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ये बिगाड़ो लाँगुरिया / ब्रजभाषा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=ब्रजभाष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:54, 27 नवम्बर 2015 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
नई-नई फैशन की जोगिन ने ये बिगाड़ौ लाँगुरिया॥ टेक॥
बिगाड़ौ लाँगुरिया, रे बिगाड़ौ लाँगुरिया॥ नयी-नयी.
पानी भरन को मैं चलूँ तो पीछे चल दे लाँगुरिया,
मेरे मन में ऐसी-ऐसी आवै कुआ ढकेलू लाँगुरिया॥
नयी-नयी फैशन की.
गोबर थापन मैं चलूँ तो पीछे चलदे लाँगुरिया,
मेरे मन में ऐसी-ऐसी आबै गोबर में थापूँ लाँगुरिया॥
नयी-नयी फैशन की.
रसोई तपन को मैं चलूँ तो पीछे आवै लाँगुरिया,
मेरेे मन में ऐसी-2 आवै बेलन से मारूँ लाँगुरिया॥
नयी-नयी फैशन की.
सेज पौढ़न को जब मैं जाऊँ पीछे से आवै लाँगुरिया,
मेरे मन में ऐसी-ऐसी आवै पलका से ढकेलूँ लाँगुरिया,
नयी-नयी फैशन की.