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"गोरे-गोरे गालों पै जंजीर / ब्रजभाषा" के अवतरणों में अंतर

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गोरे गालों पै जंजीरौ मति डारै लाँगुरिया॥ टेक
ससुर सुनें तो कुछ ना कहेंगे,
सास देख देगी तसिया॥ गोरे गालों पै.
जेठ सुनें तो कुछ न कहेंगे,
जिठनी देख देगी तसिया॥ गोरे गालों पै.
देवर देखे तो कुछ ना कहेंगे,
दौरानी देख देवै तसिया॥ गोरे गालों पै.
नन्दोई सुनें तो कुछ न कहेंगे,
ननद देख देगी तसिया॥ गोरे गालों पै.