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♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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सपनौ तौ देखौ बहना मेरी रात में जी
ऐजी कोई सपने में आये भरतार॥ 1॥ सपनौ तौ.
घोड़ा है बाँधो बहना मेरी थान पै री
ऐरी मेरे आये हैं महल मझार॥ 2॥
पाँचों उतारे पियाजी ने कापड़े जी
एजी कोई खोलि धरे हथियार॥ 3॥
अचक-पचक तो पलका पै पग धरौजी
ऐजी मैं लीनी झटकि जगाय॥ 4॥
उंगली पकरि के बैठी मोय कर लई जी
एजी कोई हँसि हँसि पूछी बात॥ 5॥
प्रेम तौ बाढ़ौ जागो रस काम कौ जी
ऐसी मेरे डाली है गले में बाँह॥ 6॥
इतने ही में नैना मेरे खुल गये जी
एजी यहाँ ते कित गये दाबादार॥ 7॥
कहनि सुननि तो बहना कछु ना भई री
एजी कोई रूठि गये भरतार॥ 8॥
प्यारे पिया बिन बहना कल ना पड़े जी,
एजी मोय सामन नाँहि सुहाय॥ 9॥
कर्म लिखौ सो बहना मेरी है गयो री
एजी जाकौ कोई नाहैं मेंटनहार॥ 10॥