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ये वैज्ञानिक भारत हमारा,
विश्व में अग्रणी बन रहा है।

बढ़ रहे हम प्रगति के हैं पथ पर,
देखते पीछे हम हैं न मुड़कर,
आँख सबकी लगी हिन्द ही पर,
गुंजते यश हैं मानव-आधार पर।
चल रहा राष्ट्र-रथ है हमारा,
ये वैज्ञानिक भारत हमारा।

हम न पीछे रहे थे कभी भी,
हम न पीछे रहेंगे अभी भी।
झूठ कहता है इतिहास सही भी,
पग रूकेंगे न मेरे कभी भी।
होगा उज्ज्वल भविष्यत् हमारा,
ये वैज्ञानिक भारत हमारा।

काम करते कृषक हैं निरन्तर,
झूमने में भी पौधे हैं तत्पर।
बढ़ती जन-संख्या भी उत्तरोत्तर,
जोस-खरोस में कुछ न अन्तर।
खेत उगलेगा सोना हमारा,
ये वैज्ञानिक भारत हमारा।

आत्म निर्भर बने देश हैं अब,
यंत्र उत्कृष्ट उपयोगी हैं सब।
रेडियो, टी.वी. कम्प्यूटर सब,
पैदा उद्योग करते हैं नित नव।
ला रहा ज्ञान-सूरज हमारा,
ये वैज्ञानिक भारत हमारा।

शक्तियाँ अब वही हैं हमारी,
यंत्र-विद की कुशलता है न्यारी।
लगती भारत की है शक्ति सारी,
बनाने में वैज्ञानिक भारी।
चान्द चमकेगा गरिमा का ‘यारा’,
ये वैज्ञानिक भारत हमारा।

विकसित देशों में उभरा है भारत,
उठ रही ऊँची इसकी इमारत।
कह सकेगा इसे कौन आरत,
करते उद्योग-संस्थान सदारत।
धाक मानेंगे सब अब हमारा,
ये वैज्ञानिक भारत हमारा।

गर्व से शीष ऊपर उठा है,
राष्ट्र का जो गौरव बढ़ा है।
बनके उद्योग-प्रतिष्ठान खड़ा है,
देश सम्पन्नता-चोटी पर है।
बढ़ रहा नित कदम अब हमारा,
ये वैज्ञानिक भारत हमारा।

सारा संसार देखे सफलता,
हर कदम में है कितनी चपलता।
सौम्यता, शुचिता, उनकी सरलता,
शुष्कता को बनाती तरलता।
पथ प्रगति का है विस्तृत हमारा,
ये वैज्ञानिक भारत हमारा।

-समर्था,
22.11.1987 ई.