भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हेल्लाहेल्ला पाके / शकुंतला तरार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शकुंतला तरार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:22, 15 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण
हेल्ला-हेल्ला पाके बैरी भुइयाँ मा हमर खुसरत हे
चोरहा लपरहा आतंकवादी बन्दूक मा डरवावत हे
हमर देस के संस्कृति ए पहुना भगवान बरोबर ए
अउ चुप्पे चुप्पे खुसरे मनखे डाकू चोर कहावत हें
रिमंज डारबो उन बैरी ला जेन कैरी आँखी देखावत हे
देथे गवाही इतिहास इहाँ बलिदानी मनखे के देस ए
इहाँ के कुर्बानी के कहिनी जम्मो दुनिया जानत हे
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई मया पीरीत बगरावत हें
अइसन कैसे ओमन सोंचिन सोंप देबोन भुइयाँ ला हमार
भारत माता के माथ के ऊपर चोरहा मन के रिही खुमार
छीन भिन करबो नीछ डारबो कचार-कचार के पीटबोन गा