"कारगिल की याद में / पल्लवी मिश्रा" के अवतरणों में अंतर
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वतन तो हमको भी है अजीज,
वतन तो तुमको भी है अजीज,
पर वतन को हमसे ज्यादा,
ऐ शहीदो तू है अजीज।
तुमने कफन बाँधा है सर पर,
माँ की रक्षा को हो तत्पर,
साँसें जो हम ले रहे हैं,
वह भी है तेरे ही दमपर।
तुमने वह करतब दिखाया,
दुश्मनों को सबक सिखाया,
मुँह की खाकर भाग रहे हैं,
तुझे पीछे हटना कभी न भाया।
माँओं की गोदें हैं उजड़ी,
माँग की लालिमा बिखरी,
तेरे बच्चे हुए अनाथ,
फिर भी तेरी दिशा न बदली।
अभिमान तेरे हौसले पर;
नाज तेरे फैसले पर-
”कोई भी समझौता नहीं
होगा वतन के मामले पर।“
सीमा के इस पार दुश्मन
रौंदेगा गर माँ का दामन,
तो खाक में मिल जाएगा,
उस पार उनका हर चमन।
यही तेरा ऐलान है-
यही तेरा अरमान है-
तेरे हौसले की क्या बात है?
तू ही वतन की शान है।
ऐ शहीदो तुझको सजदा
दिल से करते हैं हम सदा
हम वतन के कुछ भी नहीं,
पर तू वतन का है खुदा।