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"प्यार में पड़ी लड़की / रेणु मिश्रा" के अवतरणों में अंतर

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18:59, 9 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

कभी किसी ने नोटिस किया है
अगर नहीं किया है
तो कभी नोटिस करना....
प्यार में पड़ी लड़की
नज़रें उठा के देखती है तारे
मगर, कनखियों से निहारती है चाँद
जिससे प्यार करते हैं
उसे नज़र उठा के
देख भी कहाँ पाते हैं!!
साँसों की गर्माहट से
उबलने लगता है
दिल के फ्लास्क में
लव यू फॉरएवर वाला केमिकल
जिसके साइड-इफ़ेक्ट से
उसे हो जाता है प्यार
आखिर इन केमिकल लोचों से
कभी कोई बच पाया है क्या?
लहज़े की नरमी
और डूबते-उतरते
धड़कनों की चहल-कदमी
बयां कर जाते हैं
दिल के मासूम से जज़्बात
प्यार के मोती
ढुलक ही आते हैं गालों पर
आँखों का समंदर
कहाँ छुपा पाता है प्यार!!
जो चाँद जान लेता है
उन मोतियों की कीमत
वो छिटक के बन जाती है
उजली निखरी चांदनी
नहीं तो आई-शैडो की रंगीनियों में
वो ब्लेंड कर देती है
अपने स्याह से एहसास
मुस्कुराते हुए कह उठती है
वो तो था बस एक इंफैचुएशन
उसे कहाँ हुआ था प्यार!!