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"प्रेम-1 / सीत मिश्रा" के अवतरणों में अंतर
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किसी समय जब तुम प्रेम में डूबे हो
और अचानक जेहन में कौंधता है पुराना प्रेम
जो कभी पुराना नहीं पड़ा
खयाल यह भी रहता है
कि तुम अपनी पत्नी के बाहोपाश में हो
वह एक याद तुम्हें शिथिल कर देगी
तुम्हारा ह्दय बीते प्रेम में डूबने लगेगा
लेकिन तुम्हें फिर याद आएगा वर्तमान
जिसे तुमने जकड़ रखा है भुजाओं में
समय को भूला देने की चाहत में
तुम बंद कर लोगे अपनी आँखें
और खुद को खोने दोगे वर्तमान में
यह समझकर कि वह कभी पुराना नहीं पड़ने वाला प्रेम है
उसका साथ निबाहना है आजीवन
तुम उसे ऐसे महसूस करोगे जैसे किसी और को महसूसा
ऐसे प्रेम करोगे जैसे किसी को और किया
स्मृति में प्रेयसी को लिए
डूब जाओगे
उसी तल्लीनता के साथ पत्नी-प्रेम में।