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"हर समय एक प्रश्न / निदा नवाज़" के अवतरणों में अंतर
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12:23, 12 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण
हर समय सोचता हूँ
कि जीवन के
इन प्रश्नों के उत्तर
कहां से लाऊं?
और समय के पथ पर
उभरने वाली शंकाओं
की उलझन को
कैसे सुलझाऊं
हर क़दम पर एक प्रश्न है
और हर मोड़ पर एक शंका
उभरती है
अपने अनबूझे शब्दों से
उनकी निष्कृति ढूढता हूँ
पर मिलती नहीं
हर प्रश्न एक चोट
और हर शंका एक घाव
देती है
हर प्रश्न के बहुत सरे उत्तर
और हर उत्तर के साथ
ढेर सारी शंकाएं
और मैं
इन प्रश्नों और शंकाओं में
डूबा जता हूँ
और अन्त में
खड़ा हो जता हूँ मैं भी
अपने ही समक्ष
एक प्रश्न-चिन्ह सा.