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"बदलते हुए अर्थ / निदा नवाज़" के अवतरणों में अंतर

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12:35, 12 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

अंतर की खेती में
बोए थे बीज
भाव-पुष्पों के
किन्तु
उनहोंने अपने अर्थ
बदल दिए
और कांटे बनकर
उगने लगे
चुभने लगे


अपने मन-मन्दिर में
जलाए थे कुछ दीप
कि प्रकाश दे देंगे
इस तमस-ग्रस्त चित को
किन्तु
उनहोंने अपने अर्थ बदल दिए
और राख कर दिया
मेरे तन और मन को


उम्मीद की इक डोर बंधी थी
कि बचा लेगी गिरने से
किन्तु
उसने भी अपना अर्थ बदल दिया
और फांसी का फंदा बनकर
मुझको झुला दिया।