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"एक संवाद / निदा नवाज़" के अवतरणों में अंतर

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12:54, 12 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

जब तक मैं तोड़ लाऊंगा
समुद्र से एक लहर
तुम गर्म तवे पर सेंकना
एक रोटी
 
जब तक चाँद यूं ही चमकता रहे
तुम उड़ाना अपनी छत के
सारे कबूतर

जब तक तूफान थम न जाए
तुम न मांगना बारिश रुकने की
कोई दुआ

कवि तुम समुद्र में
क्या ढूंढ़ते हो?
अपने लिए घाव भर नमक
और तुम्हारे लिए ह्रदय भर हरिकेन

लड़की तुम चाँद से
क्या मांगती हो?
अपने लिए मांग भर मोती
और तुम्हारे लिए चाँदनी भर चाहत

कवि तुम लहर से
क्या तराशोगे
अपने लिए आकाश भर आँख
और तुम्हारे लिए स्रष्टि भर सपना

लड़की तुम तवे में
क्या ढूंढती हो
अपने लिए आंचल भर अंच
और तुम्हारे लिए मुस्कान भर मिलन

कवि कबूतर से
क्या माँगा जा सकता है?
आकाश में उड़ने की प्रवृति

लड़की तूफ़ान से
क्या सीखा जा सकता है?
विशाल रेगिस्तान को
उड़ाने की कला

लड़की तुम्हारे समुद्र में
सुनामी आ रही है

और कवि
तुम्हारा चप्पू भी तो
टूटने लगा है.