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"मछलियाँ और सांप / निदा नवाज़" के अवतरणों में अंतर
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उसने तो पत्थर उछाले
और देखा
बनते और फैलते दायरों को
उस ने यह तो नहीं देखा
कि हर दायरा
सरोवर की उस पोखर में जाता है
जहाँ रंगीन मछलियां रहती हैं
बड़ी और छोटी मछलियां...
बड़ी इच्छा हमेशा
छोटी इच्छा को खा जाती है
मन पोखर के निकट ही
वे सांप भी रहते हैं
काले भूरे सांप
मछलियों को दायरों में
बन्द नहीं किया जासकता
न ही मरोड़ी जा सकती हैं
साँपों की गरदनें
मछलियां और सांप
एक जैसे होते हैं
एक ने विष के अर्थ को
रंगों में बदल दिया है
और दूसरे ने उसको
बुद्धि के निकट पाल रखा है
हम मछलियों को पालते हैं
साँपों के निकट रहते हैं
इसी लिए
हमारी आँखों के सरोवर पर
कभी उभर आती हैं
रंगीन मछलियां
और कभी
काले भूरे सांप.