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"बर्फ़ और आग (कविता) / निदा नवाज़" के अवतरणों में अंतर

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12:56, 12 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

बर्फ के घरों में रहते थे
वे लोग
ठंडक बसती थी
उनकी सभ्यता में
ब़र्फ़ के सपने उगते थे
उनकी आँखों में

और आज पहली बार
वे घर लाए थे आग

इतिहास में केवल
इतना ही लिखा है.