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"बर्फ़ और आग (कविता) / निदा नवाज़" के अवतरणों में अंतर
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बर्फ के घरों में रहते थे
वे लोग
ठंडक बसती थी
उनकी सभ्यता में
ब़र्फ़ के सपने उगते थे
उनकी आँखों में
और आज पहली बार
वे घर लाए थे आग
इतिहास में केवल
इतना ही लिखा है.