भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जनवरी की शीत लहर / निदा नवाज़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निदा नवाज़ |अनुवादक= |संग्रह=बर्फ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:12, 12 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

(सरगोशियों में डूबी उस अनाम आवाज़ के नाम)

मुलायम सी बर्फ़ भी
पत्थरा गई है आज
इस शीत लहर से
जम गई हैं भावनाएं तक भी
काश...
चुपके से आजाती तुम
एक सूर्य किरण सी
और पिघला देती
मेरे भीतरी व्यक्तित्व के
एक-एक कोने में बसे
सारे हिमलम्ब
और समेट लेती मुझे
अपनी गरम गरम बाहों में.