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उसने परोस लिया
होंठों में मेरे
होंठ भर नमक
मेरे स्पर्श से
उसके शरीर में
खिल उठी
गुलाब की पंखुड़ियां
उसमें फैल गई
ऊन की सी नरमी
और सौम्य तपन.