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"पावस / ऋतुराग / अनिरुद्ध प्रसाद विमल" के अवतरणों में अंतर

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1.

सखि नाचै छै
हमरोॅ तन-मन
वर्षा ऐली छै।

2.

वर्षा में नाचै
झूमै गाँमोॅ के बेटी
अंग समेटी।

3.

भाव विह्वल
हर्षित छै किसान
होतै जे धान।

4.

बीजोॅ केॅ पारी
घूमै खेतोॅ के आरी
बाँधै छै क्यारी।

5.

वर्षा रानी
दै छर-छर पानी
भरी जुआनी।

6.

सोॅन बरसै
लागै कोय कपसै
गोरी तरसै।

7.

दौड़ै छै मेघ
सरंगोॅ छाती पर
तांडव नृत्य।

8.

फुनसी परै
अंग-अंग सिहरै
गोरी हहरै।

9.

मेघोॅ के बून
धरती में समाबै
प्रेम जताबै।

10.

लचकै छै देखोॅ
गाछोॅ के ठार-पात
वर्षा के रात।

11.

सुतलोॅ इच्छा
अनचोके जगावै
वर्षा सतावै।

12.

बाजै लागलै
रोम-रोम गोरी के
पावस झरै।

13.

निष्ठुर पिया
कारोॅ मेघ सौनोॅ के
जी केॅ जराबै।

14.

वर्षा के साँझ
झरै छै बरसात
तोरे नै साथ।

15.

उफनै नदी
पिया उमड़ै धार
हमरे प्यार।

16.

हमरे लोर
गरजी केॅ बरसै
भादोॅ के मेघ।

17.

मेघ अखारी
आबै छै घिरी-घिरी
धरा दुलारी।

18.

यक्ष संदेश
लानलै छै अखार
लोरोॅ के धार।

19.

लाजोॅ सें लाल
छै कवि-यक्ष प्रिया
उन्मत्त हिया।

20.

तितलोॅ साड़ी
रोपनी रोपै धान
छेड़ी केॅ गान।

21.

चूड़ी खनकै
खेतोॅ में रोपनी के
मेहा ठनकै।

22.

खेतोॅ में कादोॅ
उमड़लोॅ छै भादोॅ
लेॅ होॅर लादोॅ।

23.

अखारी मेघ
अंग-अंग टहकै
कहाँ छोॅ पिया।

24.

ई पनशोखा
पिया, धोखा छै धोखा
ताकै छी मोखा।

25.

वर्षा पानी सें
होलै देहोॅ में फोंका
दर्द अनोखा।

26.

बेरथ लागै
मेंहदी के रचैबोॅ
अंग सजैबोॅ।

27.

काटै लेॅ दौडेॅ
ई बिछलोॅ बिछौना
पानी पड़ना।

28.

कनखी मारै
चमकी केॅ बिजुरी
हँसी उड़ाबै।

29.

उठी बेठलौं
देखलौं छुछछे खाट
जोहै छी बाट।

साँझ लगाबै
आँख भरी काजल
पौन्हा बादल।

31.

उजरोॅ पाँत
बगुला बूलै पानी
ध्यानी छै ज्ञानी।

32.

वर्षा के झड़ी
वन के चारों ओर
नाचै छै मोर।

33.

ऋतु पावस
सोॅन-भादोॅ सुहावै
संग पी भावै।

34.

उमडै़ मेघ
सुहागन भरै मांग
रचै मेंहदी।

35.

रात छै काल
पिया बिनु बेहाल
बरसै भादोॅ।

36.

सुन्नोॅ छै घोॅर
पिया लागै छै डोॅर
पड़ै छै झोॅर।

37.

बिना सुहाग
सेज बैठलोॅ नाग
आग छै आग।

38.

आस जगाबै
पावस के भरोसा
भगजोगनी।

39.

भींगै छै गाँव
रिमझिम पानी में
झिंगुर गाबै।