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माँ सरस्वती! बसॅ हृदय में
स्वीकार करॅ सुमन-चंदन।
चरण-कमल रॅ दास बनाबॅ।
सदा प्रार्थना शीश नमन।
जे कुछ देखियै, सच-सच लिखियै,
पाठक केॅ ले ली दर्पण।
कलम कसौटी बनै देश रॅ,
मातृभूमि रॅ अभिनन्दन।
हे माँ अपने कॅ सौ बार नमन।
चरण चंचरीक
-रचना, 10.97.2015