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"झूमर / कस्तूरी झा ‘कोकिल’" के अवतरणों में अंतर

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13:57, 29 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

बुला दे रे कागा मोरा ननदोई। ।3।
दे दूँगी तुमको कहेगा जोई सोई। ।2।

ननद मेरी छोटी बड़ अलबेली,
सजाबे रोज जूड़ा चंपा, चमेली।
ननदोई बिनु लागै सूनी हबेली;
रात नहीं सोये, दिन में खोई-खोई।

बुला दे रे कागा मोरा ननदोई। ।3।
दे दूँगी तुमको कहेगा जोई सोई। ।2।

फागुन महीना बड़ अलबेला,
ढोलक मंजीरा मचाबे बवेला,
चिहुँह-चिहुँह जागे सोये के वेला
कैसे समझाऊँ सिसक-फफक रोई,

बुला दे रे कागा मोरा ननदोई। ।3।
दे दूँगी तुमको कहेगा जोई सोई। ।2।

-मुक्त कथन, वर्ष 31 अंक-29, 11 मार्च, 2006