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गुलाबक फूल,
तोड़बाक हैतु,
हाथ बढ़ैबै तऽ
आँगुर में काँट
अवश्ये चूमत।
सफलताक शिखर
पहुँचबाक लेल
मुसीबत क पहाड़
पार करैइए पड़त।
-28.05.1985