भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ये बात / अनिमेष मुखर्जी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिमेष मुखर्जी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:53, 22 मार्च 2016 के समय का अवतरण

ये बात
परसों से दो दिन पहले की ही तो है
जब रोज़ के
सूनसान चेहरे से हटकर
एक डरी-डरी-सी मुस्कान दी थी तुमने
फिर
बातों-बातों में पता चला कि
कागज़ के फूल तो तुम्हें भी अच्छे लगे थे
और अमृता से 'रसीदी टिकट'
तुमने भी ले रखा था
इतवार को नुक्कड़ की जलेबी के संग छनकर
हर बार कई किस्से मीठे हुए
मगर जब पिछले मोड़ पर रास्ते घूमे
तो घर तक का सफ़र
कुछ तनहा हो गया
आज जब कभी
खिड़की से झाँककर देख लेता हूँ
तो कतरा-कतरा
हम दोनों को
उन्हीं गलियों में छूटा पाता हूँ।