भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चोका / ज्योत्स्ना शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्योत्स्ना शर्मा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

11:19, 22 मार्च 2016 का अवतरण

1
सोन चिरैया
जब भी तुम गाओ
मीठा ही गाओ
जो तुम मेरी मानो
नीड़ बनाओ
तिनका चुनकर
खुद ही लाओ
शेष अभी कहना-
छीन घरौंदा
कभी किसी पंछी का
नहीं सताओ
जीवन मंत्र यही-
मिट जाते हैं
बदनाम परिंदे
मान भी जाओ
सखि, जीवन जी लो
अमृत बाँटो, पी लो!

2
नई भोर-सी
दमकाती है मन
याद तुम्हारी
पल –पल है प्यारी
मुग्ध कली-सी
महकाती है मन
याद तुम्हारी
ज्यों सुरभि की झारी
प्यार पगी-सी
सरसाती है मन
याद तुम्हारी
यूँ रस बरसा री
कुंज गली-सी
भटकाती है मन
याद तुम्हारी
सब कुछ मैं हारी
सुनो न कान्हा!
तरसाती है मन
याद तुम्हारी
आओ कृष्ण मुरारी
संग हों राधे प्यारी!