भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जिन्दगी केकरा लेॅ जोगैलोॅ छी / अमरेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=रेत र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:50, 6 मई 2016 के समय का अवतरण
जिन्दगी केकरा लेॅ जोगैलोॅ छी
कैन्हें नी डूबी भाँसी गेलोॅ छी
हमरोॅ इतिहास नै बनतै होना
हम्मू गोबरधने उठैलोॅ छी
कोय मानै लेॅ नै तैयार होलै
खुशबू चंदन रोॅ बनी ऐलोॅ छी
आत्मा हमरोॅ छै अभियो गीता
जिल्द सें कत्तो भला मैलोॅ छी
ई कखनियो भी बलि हुवेॅ पारेॅ
हम्में सब पाठे रं चुमैलोॅ छी
अभियो हमरोॅ मनोॅ में रस उपटै
कत्तो पोकत छियै जुवैलोॅ छी
पहिले अमरेन रोॅ गजल सुनलौं
पहिले वार जी भरी अघैलोॅ छी
-3.7.92