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"ज्ञान दाता / सियाराम प्रहरी" के अवतरणों में अंतर

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तो धन्य छोॅ
तों ज्ञान दाता, राष्ट्र निर्माता,
भारत भाग्य विधाता छोॅ
तो धन्य छोॅ
नीचे से उपर तक सबके नजर तोहरे पर
तों धन्य छोॅ

हय गाँव में केतना घोॅर छै
केतना कच्चा केतना पक्का
कहाँ कुआँ छै कहाँ पोखरा
मन्दिर मस्जिद औ गुरूद्वारा
केतना नर छै केतना नारी
केतना बच्चा केतना बच्ची
आरू केतना आवै वाला छै
हय सब, के बतलावेॅ पारेॅ तोरोॅ सिवा
तो महान छोॅ
सर्वत्र तोहीं छोॅ सर्वज्ञ तोहीं छोॅ
तो महान छॉे

आरो चुनाव
हय महायज्ञ छिकै
बिना तोरा केना होते पुरा हय महायज्ञ
तोरा पर सभ्भे के आशा टिकलोॅ छै
तों राष्ट्र निर्माता छोॅ
पल्स पोलियो खाँसी खसरा टीबी
कोय बुतरू बच्चा पर हेकरोॅ असर नै होय
यहो दायित्व तोहरे छौं
बच्चा स्वस्थ रहथौं तभिये न पढेॅ ऐथौं
नै त तोहीं आखिर केकरा पढ़ैभो
तो भविष्य के चिंता नैं करोॅ
भविष्य अपनोॅ चिंता अपने करी लेतै
वर्तमान में बड़ोॅ काम छै
करते रहोॅ
तों ऋषि संतान छोॅ
गुरु गोविन्द महान छोॅ
तोहीं धर्म और ईमान छोॅ
भक्त और भगवान छॉे

धन दौलत के चाह नै करोॅ
भुखले रहोॅ आह नै भरोॅ
सरकार जे कहेॅ वही करोॅ
पढ़ेॅ लिखै के बात नै करोॅ
साक्षरता अभियान चललोॅ छै
तों बस एतने बताय दहो कि
केतना साक्षर छै केतना निरक्षर छै
अपनोॅ स्कूल में तो खिचड़ी बनबाबो
बच्चा बुतरू के भरपेट खिलाबोॅ
हय सरकारी काम छिकै
सरकार के बेरोजगारी खतम करै के योजना छिकै

बच्चा आरो बच्ची
अब तोरोॅ पास किताब कापी नै लैथों
कटोरा गिलास लेने ऐथौं
बच्चे से जों बच्चा के हय संस्कार पड़ी जैतै
त बड़ोॅ होला पर मांगि चांगि के खाय में
कोनो झिझक नै होतै
बेरोजगारी अपने आप मिटि जैतै
हय लेली तो पठवै लिखवै के चिंता नैं करोॅ

आय जे अनपढ़ छै बाहुवली छै
वहै बड़ो बड़ों कुरसी पर विराजमान छै
आरोॅ पढ़लोॅ लिखलोॅ
चालीसा गावी रहलोॅ छै
हेकरोॅ आगे बड़ा बड़ा ज्ञानी विज्ञानी
बड़ोॅ बड़ोॅ पदाधिकारी
नतमस्तक छै
खैनी चूना लटाय रहल छै
जन नायक के पटाय रहल छै
हिनकोॅ तलवा चाटि रहल छै
आधा आधा बाँटि रहल छै

हाल एन्होॅ छै
नतमस्तक विद्वान छै मूरख प्रमुख प्रधान
हयसिनी-
तोरा सम्मान में शिक्षक दिवस मनैथौं
पुरस्कारो देलवैथौं
बहुत तरह से फुसलैथौं
तोहरा माला पहनैथौं

मगर शर्त छै
तों जन जागृति के काम नै करोॅ
अंधकार के दूर नै करोॅ
हय सब छोड़ी और कुछ करोॅ
केकरा चिंता छै शिक्षा के विकास होय
अंधकार मिट जाय उजाला होय प्रकाश होय
बहुत चालाक होय गेलोॅ बन्दर
हय सिर के टोपी नै उतारथौं
अपनोॅ गठरी सभालि केॅ रखोॅ
नै तेॅ एकरो लेॅ केॅ भागि जैथौं
पिछलोॅ अनुभव बहुत पुरानोॅ छौं
वै सिनी कुछ काम अब नै ऐथौं
हय नया दौर के नया बन्दर
सभ्भे कपड़ो उतरि लेॅ जैथौं
हय लेली और नै चिंता करिहोॅ
और नै जादा कहिहोॅ सुनिहोॅ
जाहि विधि राखेॅ राम ताहि विधि रहिहोॅ
विधि के विधान जानि हानि लाभ सहिहोॅ
तो धन्य छोॅ
राष्ट्र निर्माता छो भारत भाग्य विधाता छोॅ।