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"ओकरऽ प्रधानमंत्री / कुंदन अमिताभ" के अवतरणों में अंतर

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बदली रहलऽ छै बार-बार
प्रधानमंत्री देशऽ के
पर ओकरऽ प्रधानमंत्री...
ओकरऽ प्रधानमंत्री वहेॅ छेकै
जे तहिया छेलै
ओकरा मने नै छै
बिसरी गेली छै वें
नाम, रूप, काया
आपनऽ प्रधानमंत्री के
ओकरऽ प्रधानमंत्री वहेॅ छेकै
जे तहिया छेलै
तहिया जहिया
फिकिर केरऽ दुनियां सें दूर
अलग एगो दुनिया रहै ओकरऽ
रातो आपनऽ दिनऽ आपनऽ
दिन दरबन लगाबै रहै
गामऽ के डग्घर पर
रात ढलकै रहै
चाँद केरऽ घाटी में।
तहिया जहिया
ओसऽ सें भींजली धरती
धानी गब्भा केरऽ सुगंध
झिंगली फूलऽ सें महकलऽ साँझ
डिग्गा केरऽ खेल
छेलै ओकरा जीवन के यथार्थ।
तहिया जहिया
पटुआ के बोरा में
सिलेट आरो पेंसिल
लिखलऽ मेटाबे लेली
मुरै कोबी के डटकी
चपोती के स्कूल जाय केॅ
खूब पढ़ै केरऽ रहै ओकरऽ सपना।
तहिया जहिया
छेलै ओकरऽ सपना, आपनऽ सपना
छेलै ओकरऽ यथार्थ, जीवन यर्थाथ
नै मेटैलऽ रहै कोनो भावार्थ।
तहिया जहिया
बीहा केरऽ चार बरस बाद अखनी
जे करै लेॅ पड़ै छै ओकरा
ससुराली में सबके जी हुजूरी
बाहर जाय केॅ मजदूरी
तहियो चार-चार चिलका
सभारै केरऽ भार
ओकरा पर नै ऐलट रहै।
जहिया जहिया
दुक्खऽ के एतेॅ बड़ऽ पहाड़
ओकरा पर नै टुटलऽ रहै
मगर वें जानै रहै कि
देशऽ के प्रधानमंत्री
सभ्भै के दुक्ख हरी लै छै।
तहिया जहिया
ओकरऽ छाती में
विद्रोह केरऽ आवाज
विद्रोह केरऽ आवाज
एत्तेॅ मात्रा में
जौरऽ नै होलऽ छेलै
जबकि वें जानै छेलै
कि आपनऽ आवाज बुलन्द करला पर ही
कोय प्रधानमंत्री बनै छै
ओकरऽ प्रधानमंत्री तेॅ वहेॅ छेकै
जे तहिया छेलै
तहिया जहिया
आठ साल के उमर में
आपनऽ पहलऽ बीहा केरऽ
विदागरी में डोली में बैठली
ससुराली दन्नेॅ जाय रहली
ओकरऽ आँखी में भरलऽ रहै
डब-डब लोर
तहू पर लौकलऽ रहै ओकरा
सामने केरऽ भीती में सटलऽ
पोस्टर सें चिपकलऽ
मधुर मुस्कान छेड़ी रहलऽ
ओकरऽ प्रधानमंत्री