भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अभियो आदमी चेतौ / धनन्जय मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धनन्जय मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=पु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:46, 10 मई 2016 के समय का अवतरण
कल्पना सें
बाहर के बात छेकै
कि कत्तेॅ लोग डूबी-भांसी गेलै
कोशी के जलप्रलय में
के गिनती करतै
अंगुली सही-सही गिनै छै
आबेॅ आदमी के अंगुली नै रहलै
कम्प्यूटर के भरोसे की
मशीन नी छेकै
ओकरोॅ आंकड़ा के की भरोसोॅ
लेकिन
तैरी केॅ बची गेलै मनु
शिबिर में कानी-कानी केॅ
बताबै छै
कि एक अंग देश छेलै
आधोॅ प्रदेश
गंगा के हौ पार
आधोॅ है पार
जेकरा उत्तर अंग कहै लोगें
जहां बसै छै कोशी माय
वही माय चाटी गेलै दीया रं
अपने वंश वृक्ष केॅ
कत्तेॅ-कत्ते दोख
ई तेॅ लिखतै समय
लेकिन आदमी आभियो
प्रकृति के पहचानौक।