भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जीत / अनिल शंकर झा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल शंकर झा |अनुवादक= |संग्रह=लचक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

09:58, 11 मई 2016 के समय का अवतरण

जीते-जीत, जीते-जीत,
सब मोर्चा पर जीते-जीत।

कश्मीरोॅ में जीते-जीत
तिब्बत में भी जीते-जीत
गोरखालेंडोॅ के ही हस्ती
पंजाबोॅ में बडके जीत।

उत्पादन छै दुगना-तिगुना
मँहगाई भेलै पचगुन्ना
जात-पात के झंडा ऊँचा
कच्चा सूतोॅ छै भयभीत।

प्रजातंत्र में नेता राजा
जनता-वोटर लड्डू खाजा
बुद्धिजीवी छै हलबैया
पाँती में बैठोॅ जी मीत।

लूटै के कूअत छै जेकरा
न्याय तराजू भी छै ओकरा
चतुर चलाकोॅ के दुनिया छै
चित भी हुनके, पट भी जीत।

जहिया तक आकाश हियैमेॅ
तहिया तक पाताल लुटैमेॅ
बन्होॅ मुट्टी तानोॅ सीना
ई मोरचा पर तोरे जीत।
जीते-जीत, जीते-जीत,
सब मोर्चा पर जीते-जीत।