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दूल्हा राजा वसन्त।
रामे रङ पैलेॅ छै शोभा अनन्त
दूल्हा राजा वसन्त।
पुरलोॅ छै केकरोॅ मनो रोॅ मनौती
पिन्हीकेॅ सहजन के फूलोॅ के मोती
महुआ के माला में शोभै की कंत
दूल्हा राजा वसन्त।
राखनें छै माथा पर मंजर के मोरी
ससरै छै सोना रोॅ रेशम पटोरी
ऐलोॅ छै चढ़ीकेॅ जे दखनाहा रन्थ
दूल्हा राजा वसन्त।
देखी मूँ लट्टू छै मौगी नै, मरदो
चन्दन सन लागै छै रस्ता के गरदो
आपनोॅ मन बान्है में लागलोॅ छै सन्त
दूल्हा राजा वसन्त।