भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कहिया जैवै हे सजना / दिनेश बाबा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश बाबा |अनुवादक= |संग्रह=हम्म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:12, 1 जून 2016 के समय का अवतरण

कहिया जैवै हे सजना
तोरोॅ ऐंगना।
रोज-रोज राती केॅ
सांझ दिया-बाती केॅ
भोर या पराती केॅ
तोरे सपना
झूमी आवै छै
आँखोॅ में तोरे सपना।

नैन हमरोॅ बोलै छै
दिल के राज खोलै छै
सखी सिनी डोलै छै
आगू पीछू ना
बात पूछै छै
खोदी-खोदी, तोरे सजना।

माय हमरोॅ गौना रोॅ
नाम लै छै पहुना रोॅ
रोजे आबेॅ ना
छेड़ीं भौजीं
कहै छै हरदम
ऐलै पहुना।
सखिया-सहेली में
साली-हमजोली में
चुनरी आरू चोली में
अबरी के होली में
रंग डालै ना
अब तेॅ आबी जा
हे बालम तोहें केहुना।