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"आवोॅ नी सैलून बाबू / दिनेश बाबा" के अवतरणों में अंतर

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22:13, 1 जून 2016 के समय का अवतरण

बिना माय के बिना बाप के
विधि-विधाता के सराप के
टॅअर जुगना विपत उठैलौं
कोनि जनम के, कोन पाप के।

की कहिहौं अपनोॅ दुश्वारी
पेटोॅ खातिर द्वारी-द्वारी
बेचलेॅ छी मच्छी, तरकारी
सुनलेॅ छी हर किसिम के मुँह सें
कुछ के हट-हट, कुछ के गारी।

दत्तन भी हम्में बेचलेॅ छी
सखुआ आरू सिहौड़ा, नीम
मंजन बेचै लेली कभी तेॅ
हम्में बनलोॅ छेलाँ हकीम।

सड़क-चौराहा, गली-गली भी
बेचलेॅ छी हम मूंगफली भी
केत्तेॅ किसिम के बेललौं पापड़
अभी अधूरा छै दास्तान
घूमी केॅ आवी गेलौं आबेॅ
आपनोॅ देश ई हिन्दुस्तान।

जे छै मातृभूमि हमरोॅ
वहीं बसै छै हमरोॅ जान
खोली केॅ आबेॅ बैठल छी
आपनोॅ है सैलून बाबू
आवोॅ है सैलून बाबू
आपनेॅ सबके सेवा में हम
लगलोॅ छी अनधून बाबू
आवोॅ है सैलून।

2.

लंदन घुमलौं, पेरिस घुमलौं
घुमलोॅ छी रंगून बाबू
बहुत दिनौ तक बेकारी में
बेचलेॅ छी बैलून बाबू
जहाँ-तहाँ सें जोड़-तोड़ करी
खोललौं ई सैलून बाबू
सेवा में ईमान लगन के
लगाय रहल छी खून बाबू
आवोॅ है सैलून बाबू।

3.

हम छी खानदानी हज्जाम
खिदमत करना हमरोॅ काम
कुछ बिगड़ी गेलै तकदीर
बेटा रही गेलै नाकाम
जौनें झुठलैलकै इतिहास
पढ़ी केॅ होय गेलै बी.ए. पास
हेकरोॅ फौंरी लाभ मिलल कि
धंधा के होलै सत्यानाश
कहै छै कि जैतोॅ आबेॅ ऊ
यहाँ सें देहरादून बाबू
आवोॅ है सैलून बाबू।

4.

आबोॅ आबी केॅ बाल कटाय लेॅ
शेव कराय लेॅ, मोंछ मुड़ाय लेॅ
चाहोॅ तेॅ किस्मत अजमाय लेॅ
एक बला आवै वाली छौं
होकरा भी फौरन टलवाय लेॅ
हमरो पास छै ऐन्हौं दर्पण
होय छै भूत-भविष्य के दर्शन
हेकरा में झलकै छै मूरत
सूरत के पीछू के सूरत
सुनी लेॅ कान सें भूत-भविष्यत
लगल छै टेलीफाून बाबू
आवोॅ है सैलून बाबू।

5.

आवोॅ बाल कटाय केॅ करी लेॅ
एक तीर सें तीन शिकार
जे पैसा तों खर्चा करभौ
कभी नैं जेथौं हौ बेकार
शेव आरू मालिश भी करभौं
टी.वी. जैसनोॅ न्यूज सुनैभौं
बतलावेॅ पारै छी हम्में
जेकरोॅ सबकेॅ छौं दरकार
रहथौं अथवा गिरिये जैथौं
कब तक मौजूदा सरकार
पकलोॅ मोंछ भी साफ करै छी
एक-एक करी चून बाबू
आवोॅ है सैलून बाबू।

6.

करिया केॅ गोरा भी करभौ
हेकरोॅ पूरा छै इस्कीम
बढ़िया मालिश करै छियै हम
नहीं लगैभौं सस्तोॅ क्रीम
चमड़ी गोरी करै के साथेॅ
दरद-हरण भी करै छै लोसन
काम भाँगठलोॅ संभरी जैथौं
ऊपर सें मिलथौं परमोशन
हेमा, रेखा आरू करिश्मा
आँख पर पिन्ही केॅ काला चश्मा
श्रीदेवी, माधुरी, मनीषा
ऐथैं रहै छौं यहाँ हमेशा
मालिश के लोशन में मिलैनेॅ
छिहौं तेल जैतून बाबू
आवोॅ है सैलून बाबू।

7.

छोटा सन औकात छौं हमरोॅ
करपूरी के जात छौं हमरोॅ
समतावादी जन्मजात छी
तिक्खोॅ मजकि बात छौं हमरोॅ
यार-दोस्त या कि होय भाई
सब गाहक हमरोॅ छौं सांई
वैद्यनाथ, ऊँझा या डाबर
हमरा लेली सब छौं बराबर
बात करै छी डरी-डरी केॅ
दाम असुलभौं काम करी केॅ
उलट अस्तुरा सें मूड़ी केॅ
जेब करैभौं साफ बाबू
यही बात पर कुछ गाहक तेॅ
माथा लै छै धून बाबू
आवोॅ है सैलून बाबू।

8.

जे हमरा सें शेव कराय छै
मालोमाल वही होय जाय छै
लॉटरी आरू रेस रोॅ घोड़ा
के भी नम्बर बतलाबै छी
रेस खेलै के तिकड़म भी तेॅ
हम्हीं हुनका समझावै छी
कभी तेॅ कुछ एक पागल होय छै
वनी करी कंगाल बाबू
आरू हँसाय के करै छियै कभी
हम सबकेॅ बेहाल बाबू
सच में यहू रहस्य छै भाई
हम छी इन्टरनेशनल नाई
राजनीति के खेल सें हम्में
सबकेॅ वाकिफ करै छियै
कभी मसखरी कभी चुटकुला
के चूरण भी धरै छियै
मौसम के भी बात करै छी
जब ऐथौं मौनसून बाबू
आवोॅ है सैलून बाबू।

9.

फैशन के उल्टा छै जमाना
बाल कटावेॅ लगल जनाना
नौजवान लड़का सब मजकि
बाल बढ़ाय केॅ रखथौं झोंटा
हमरा जैसन लोगोॅ केॅ तेॅ
हेकरा सें होय जाय छै टोटा
सगुन विचार पतरा आधारित
काम करै छै जे इन्सान
ऐन्हें ही लोगोॅ सें हमरा
होय जाय छै भारी नुकसान
यही सें मंगल, गुरू, शनिचर
होय छै थोड़ोॅ कामो मंदा
वर्षा के ऐला पर अक्सर
चौपट सब होय जाय छै धंधा
यही लेली फुरसतो रहै छै
जब आवै छै जून बाबू
आवोॅ है सैलून बाबू।

10.

दू पत्नी के स्वामी हम्में
रोज दोन्हू करथौं तकरार
खूब सोची केॅ तहींसें एकदिन
मनोॅ में करीकेॅ यहेॅ विचार
है दोकान केॅ द भागोॅ में
एक बरोबर बाँटी देलियै
गाहकके सुविधा लेली हम
काम के ब्यौरा साटी देलियै
गाहक लेली यही फर्ज छै
वहीं में सबठो रेट दर्ज छै
चलै छै एकमें ब्युटी पार्लर
दोसरा में सैलून बाबू
मंहगाई में केन्हौं लुटैलेॅ
छी रोटी आरू नून बाबू
आवोॅ है सैलून बाबू।

11.

काम के मंदी सें आखिर में
है धंधा सें उबी गेल छी
ब्युटीपार्लर खुलवैला सें
कर्जा में भी डूबी गेल छी
सोचलौं न्याय के खातिर लड़भौं
फैसन के ही मांग मोताबिक
अंग्रेजी अखबार भी पढ़भौं
सोचै छी जनसेवा करी लौं
जनता केॅ विश्वास में भरी लौं
उल्टा-सीधा करेॅ सकौं तेॅ
धन-दौलत सें झोली भरी लौं
आबेॅ सामाजिक न्याय के खातिर
हमरा आगू बढ़ैलेॅ पड़तै
यही लेली चाहे जैसें भी
ई चुनाव तेॅ लड़ै लेॅ पड़तै
होय गेलोॅ छौं हमरा जैसें
जनसेवा के जुनून बाबू
सोची लेलेॅ छी बनी केॅ रहभौ
हम्में अफलातून बाबू
आवोॅ है सैलून बाबू।