"बैमनमां पिया / परमानंद ‘प्रेमी’" के अवतरणों में अंतर
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सखि हे पियबा भेलै बैमनमां कहिक’ नैह’ ऐलै ना
कहल’ छेलै अठमी रोज जैभौं
असरा लगैहऽ मोर।
साया, नुंगा, अंगिया लै जैभौं
कसिक’ बानिहऽ छोर॥
कहिक’ नैह’ ऐलै ना सखि हे पियबा भेलै बैमनमां
दिन भर टक-टक बाट जोहैलों
रातियो नैं ऐलै बैमनमां।
सभ्भै के सेज सुहानों भेलै
सुनों हमरऽ ऐंगनमा॥
कहिक’ नैह’ ऐलै ना सखि हे पियबा भेलै बैमनमां
छटपट करिक’ रात गुजारलों
रहि-रहि फाड़ै करेजबा।
पिया निर्मोहिया दरद की जानै
बैठलऽ रूसी क’ घरबा॥
कहिक’ नैह’ ऐलै ना सखि हे पियबा भेलै बैमनमां
कहै ‘प्रेमी’ सुनऽ हे लछमी
धीरज राखऽ मनमां।
अठमीं में पियबा जो नैह’ ऐल्हौ
गौना करथौं अघनमां॥
कहिक नैह’ ऐलै ना सखि हे पियबा भेलै बैमनमां
मुझरका बभना मरलै
सखि हे गौना के दिन नैं बनैलकै मुझरका बभना मरलै ना
रात अन्हरिया ठनका ठनकै
बरसै कारी बदरिया।
पियबा बिनु अँखिया मोर बरसै
भींजी गेलऽ सुगबुग सेजरिया॥
मुझरका बभना मरलै ना सखि हे गौना के दिन नै बनैलकै
चिठिया पढ़ि-पढ़ि मऽन नैं अघैलऽ
सोचलों होतऽ मिलनमां।
बभना के पतरा में आग लागी गेलै
गौना के छेलै नैं दिनमां॥
मुझरका बमना मरलै ना सखि हे गौना के दिन नैं बनैलकै
कहै ‘प्रेमी’ सुनऽ पंडित जी
लिखऽ नैं है रं पतरा।
भरलऽ जवानी अकारथ जों जैथौं
जरथौं रोजे-रोज पतरा॥
मुझरका बभना मरलै ना सखि हे गौना के दिन नै बनैलकै