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चल रे साथी जल्दी चल,
आजादी-उत्सव मनावै लेॅ।
वीर शहीदोॅ के यादोॅ में,
श्रद्धासुमन चढ़ावै लेॅ।
इस्कूल के अहाता में हम्में,
राष्ट्र तराना खूब गैवै।
वीर बांकुरोॅ के कुर्बानी,
साथी संगी केॅ बतलैवै।
पंद्रह अगस्त के शुभ दिन,
करवै याद सहपाठी संग।
भारत माय के रक्षा खातिर,
लड़वै हम्में खूब्बे जंग।
जे देशभक्त होलै कुर्बान,
होकरा सोॅ-सोॅ बार नमन।
छोपवै दुश्मन के गर्दन
तभी रहतै देशोॅ में अमन।
शहीद के लहू के बदला,
एक-एक दुश्मन सें लेवै।
दागवै दुश्मन पे गोली,
हम्में जवाब मुँहतोड़ देवै।
वैरी के सब टेढ़ोॅ नजर के,
होश ठिकाना लाय देवै।
दुश्मन के मूड़ी के माला,
भारत केॅ पहनाय देवै।