भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"खेतऽ रऽ पूजा / श्रीस्नेही" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीस्नेही |अनुवादक= |संग्रह=गीत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:30, 7 जून 2016 के समय का अवतरण
पूजा करऽ हो किसान यही खेतबा के।
छौरऽ गोबर-माटी आरो रेतवा के॥
हेकरऽ रंग नै त्यागी देखलाँ
नै देखलाँ हम्में जोगी।
जत्ते चीरै-फाड़ै किसनमा
होत्ते है अनुरागी॥
स्वागत करऽ हो किसान यही मितवा के।
पूजा करऽ हो किसान यही खेतवा के॥
नै कोय हेकरऽ रंग वैरागी
रिषि-मुनि संन्यासी।
चर-चर कचिया काटै कटनिया
तैयो नै आवै उदासी॥
कादऽ छेखौ चंदन तोर्हऽ मथवा के।
पूजा करऽ हो किसान यही खेतवा के॥
भरलऽ गोदी सुनऽ करिके
दुनिया के राखै मान।
हमरऽ तोर्हऽ पेटऽ के खातिर
बेटा केॅ दै बलदान॥
खेते ईश्वर छेखौं तोर्हऽ मनमा के।
पूजा करऽ हो किसान यही खेतवा के॥