भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हंस / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रप्रकाश जगप्रिय |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

03:48, 9 जून 2016 के समय का अवतरण

हंस, रुई के ढेर लगै
जल में एकरोॅ सैर लगै।

पार हिमालय से आवै छौ
केकरो नै मन हर्षावे छौ।

चोंच तोरोॅ नारंगी रं
मेदी तोरोॅ संगी रं।

कीट केना केॅ खैलोॅ जॉव
केन्होॅ छौं मटमैलोॅ पाँव।

की हमरे रं जीयै छोॅ?
दूध की सच्चे पीयै छोॅ?