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"नानी सच सच बतैय्यौ / मृदुला शुक्ला" के अवतरणों में अंतर

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नानी सच सच बात बतैय्यौ
झूठ-झूठ के मत बहलैय्यौ।
चंदा के संग जे चमकै छै
कतना सौ छै ऊ तारा
भोरे भोर सूरज देखी
नुकै कथी लेॅ बेचारा
गाछी पर बैठली चिड़िया
उड़ै के केना सीखै सीख?
कोॅन बिविध से मछली तैरै?
चींटी चलै छै लीके लीक?
मौसम केना बदली जाय छै
ई सब्भे हमरा समझय्यौ
नानी सच-सच बात बतैयोॅ।
मम्मी कैन्हें डरै छै हरदम
हरी घुरी ई कहै छै हरदम
दूर नै जय्योॅ तोंय भुतलैबा
कना घुरी केॅ घोॅर तोंय ऐबा
छूटी जैतौं संगी-साथी
खेल-खिलौना, घोड़ा-हाथी
पर कोय्यो जों पतंग उड़ाबै
हमरोॅ मन में ई बस आबे
जे पतंग-सरंगोॅ में जाय छै
आखिर केना घुरी केॅ आय छै
फेनू हम्में कना हेरैबै?
कना घोॅर नै घूमी ऐबै?
ठोॅर-ठिकानोॅ जों वै पाबै
हम्में की नै?-जे समझाबै
सब्भें तेॅ बस यही कहै छै
अच्छा अच्छे बीच रहै छै
लोग वही बस अच्छा होतै
जेकरोॅ साथी सच्चा होतै
नानी ई बोलै लेॅ होतौं
सब्भे सच खोलै लेॅ होतौं
कमल कीच में खिलै केना?
नानी हाँसी केॅ बोलै
सब्भे टा सच केॅ खोलै
”अगर लगन रोॅ पक्का छीं
हर दुक्कां पर छक्का छीं
बाधाए सें लड़िये समझोॅ
मंजिल पैबोॅ अच्छा बूझोॅ।“