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"चढ़ता उतरता प्यार / मुकेश कुमार सिन्हा" के अवतरणों में अंतर
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वो मिली
चढ़ती सीढियों पर
मिल ही गयी
पहले थोड़ी
नाखून भर
फिर
पूरी की पूरी...
ओंठ भर
और फिर
प्यार की सीढियों
पर
चढ़ते चले गए...
वो फिर
मिली
उन्ही सीढियों पर,
पर इस बार
सीढियाँ नीचे जाती हुई
आँखे नम थी
नीचे दरवाजे तक
एक दूसरे के आँखे टकराई
फिर दूरियां
सिर्फ दूरियां...!!