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"सुनिए राजन / प्रदीप शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
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ओ राजा जी!
मौन तोड़
कुछ तो बतियाओ
आँधी थी
जो उड़ा ले गई
राजमहल के कूड़ा घर को
ताज़ी हवा नई खुशबू है
ऐसा लगा मुझे पल भर को
फ़िर से वही
सड़ांध सुनो!
वापस मत लाओ
बदली नहीं
पुरानी चालें
बदले हैं केवल दरबारी
राजा जी को शिकन नहीं है
प्यादों की सेना है भारी
सुनिए राजन!
खेल सभी ये
बंद कराओ
सबक सीखिए
वरना आँधी तो
फिर फिर आयेगी
फिर से कूड़ा राजमहल का
अपने साथ लिए जायेगी
केवल
अपने मन की बातें
नहीं सुनाओ
ओ राजा जी!
मौन तोड़
कुछ तो बतियाओ।