भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हम देहाती मनई / प्रदीप शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
}}
 
}}
 
{{KKCatNavgeet}}
 
{{KKCatNavgeet}}
 +
{{KKCatAwadhiRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 
हम पर एतना ना खउख्याव
 
हम पर एतना ना खउख्याव

07:48, 14 जून 2016 के समय का अवतरण

हम पर एतना ना खउख्याव
हम देहाती मनई
हमरे घाव तनिकु सोहराव
हम देहाती मनई

हम दुपहरि मा
खेतु निकाई
पैंतालिस है पारा
मुलुर मुलुर खिरकी ते तुम तो
झाँकि रहेव फव्वारा

मन मा स्वान्चौ सत्तरि दाँव
हम देहाती मनई

तोरई कै
बंउड़ी अस हमरी
रोजु गरीबी बाढ़ै
महँगाई सूरज के जईसन
हम पर आँखी काढ़ै

तुमतो बस बईठे मुसक्याव
हम देहाती मनई

कुईंया सूखीं
ताल सूखिगे
सूखे सबके दीदा
तुमका तो चुनाव का खाली
गणित लगै पेचीदा

हियाँ पियासा पूरा गाँव
हम देहाती मनई