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गरज रहे हैं वे
विश्व में उनकी है अहम भूमिका
अधुनातन
अस्त्र-शस्त्र, वैज्ञानिक तकनीक
उन्होंने विकसित की है
नक्षत्र-युद्ध से भूमि-युद्ध तक
यही सोचते
होते प्रसन्न विचार कर
अब कोई कैसे
मस्तक ऊपर कर चल पाएगा?
दान वही देंगे
सहायता वही मुक़र्रर करवाएँगे
शस्त्र वहीं बेचेंगे
तकनीक वही विकसित करवाएँगे
वे अब हैं चक्रवर्ती महाशक्ति
अब तो भगवान वही हैं
उनसे कोई कैसे उलझेगा?
सर्वोपरि है अहंकार उनका
उनके हित ही अब सबके हित हैं।