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"एक / बिसुआ: फगुआ / सान्त्वना साह" के अवतरणों में अंतर

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01:03, 30 जून 2016 के समय का अवतरण

चैत हे सखी हाथेॅ गुलाब छड़ी, लेकेॅ ठाड़ी शीतल माय हे
देहो आसिस मैया, सब रो बलकवा केॅ, खेली धूपी घरवा जाय हे

बैसाख हे सखी बगिया पलासो के, पीरो बसन्ती रतनार हे
बेली चमेली चम्पा, रजनीगंधा, केवड़ा मौलसरी के खुमार हे

जेठ हे सखी मौलै पपीहरा, चकवा चकोर कोयल मोर हे
तोता मैना सारस, हंसा बगुला, जल बिनु तड़पै चारो ओर हे

अषाढ़ हे सखी अकुलावै मनमा, असरा मेॅ कटै दिन रात हे
बदरा बिजूरी संग, खेलै कजरिया, भरमावै हमरो गात हे।

सावन हे सखी कमल फूल मझ, भौंरा नुकै अरसाय हे
सुरजो के जोत पड़थैं, खिलै कमल दल, उड़ै पलकिया झुकाय हे

भादो हे सखी बुधवार दिनमा, अठमी अन्हरिया अविराम हे
जसोदा गरभ सेॅ, दुर्गा योगमाया, देवकी गरभ सेॅ घनश्याम हे

आसिन हे सखी अंजुरी भरी भरी, स्वाती कॅे अरगो के दान हे
हे वरूण देवता, जल देॅ केॅ तृप्त करी, अग-अग केॅदेल्ह जीवन दान हे।

कातिक हे सखी अमावस रतिया, मैया कलिका पूजा पाय हे
अम्बे भवानी, जगतेॅ कल्याणी, संगे संग खोंईछा विदाय हे।

अगहन हे सखी बंगला सोहानो, गड़ी गड़ीमान मुस्कान हे,
गूॅजै किलकारी ऐंगना दुआरी, मिसरी घोरावै दोनो कान हे।

पूस हे सखी चढ़ी गेलै बिखिया, उठलै दरद पोरे पोर हे
काँची उमर मेॅ, पड़लै विपतिया, नै छै निरमोहिया मोरे कोर हे

माघ हे सखी देव दानव सुरपति, बासुकी नागो के खींच तान हे
समुद्र मंथन मेॅ बनी मथानी, पर्वत मंदार महान हे।

फागुन हे सखी बसहा सवारी, भोला के मन में हुलास हे
घर नै दुआर हिनका, खेत नै पथारी, गौरा संग चललै कैलास हे।