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चैत हे सखी बरसे सुमन नभ, ऋषि मुनि देव सुख पाय हे
अवध नगरिया, डारी-डारी फूलवा, लंका बगीचा कुम्हलाय हे।

बैसाख हे सखी करै ठिठोली, भौजी के भइया हरजाय हे
सुपती मउनिया, बाँसो के बिनिया, कोठी के पाछु में नुकाय हे।

जेठ हे सखी धीपलो धरतिया, तरवा के फोका फुटी जाय हे
कड़कड़िया रौदी में, गाछी बिरीछ तर, राही बटोही सुसताय हे।

अषाढ़ हे सखी बरसे सगुनमा, लगनी चिरैइया गीतवा गाय हे
अबकी महिनमा, देखी सुदिनमा, दुलरी बहिनिया विदाय हे।

सावन हे सखी बलि कलइया, लक्ष्मी जी बान्है रेशम डोर हे
दछिना मेॅ दे देॅ भैया, अपनो बहनोइया, नाभि कम सिर मोर हे।

भादो हे सखी अष्टमी कृष्णा, लेलकी जनम योगमायेॅ हे
जसोदा गरभ सें, प्रकट गोकुला, कलयुग में दुर्गा पुजायेॅ हे।

आसिन हे सखी अवध नगरिया, भरत मिलाप भीजै गात हे
चौदह बरस बनवास काटी, रामेॅ लखन सिया साथ हे।

कातिक हे सखी भैया दुलरूआ, बहिनी के ऐंगना मेहमान हे
बहिना चुमाबै जे, दूबी धान पनमा, स्वागत में पुआ पकवान हे।

अगहन हे सखी धनमा कटनिया, लागी जे गेलै बहियार हे
छोटो-छोटो अटिया, मोटो-मोटो दिनिया, मीट्ठो लगै छै फटकार हे।

पूस हे सखी कूटी केॅ धनमा, चिकसो पीसै के सहचार हे
पूसपिट्ठा घरे घर, भरी गुड़ चिकना, बाँटै परोसिनी भरी थार हे।

माघ हे सखी ठुठरैलो रतिया, करवट फेरैतेॅ बीती जाय हे
कुकियैलो देहिया, महुऐलो मतिया, सैंया सँवरका तरसाय हे।

फागुन हे सखी सुन्दर सगुनमा, मैना के नैना बहै लोर हे
सुन्दर सुकुमारी धीया, मैया दुलारी, शोभै बौर्हबा के कोर हे।