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चैत हे सखी अंग ऐंगनमा, शान्ता संग शृंगी हरषाय हे
पुत्रेष्टि यज्ञ सें ही रानी गरभिया, त्रिभुवन नाथ मुसकाय हे।

बैसाख हे सखी छर छर पसीनवा, अंगिया चुनरिया घमाय हे
ठीक दुपहरिया, ऐंगना दुआरिया, हौले हौले बिनिया डोलाय हे।

जेठ हे सखी आमेॅ पोदीनमा, गुड़ सत्तू चटनी सोहाय हे
चौरठ के रोटी संग, गुड़ गुड़म्मा, औंगरी चाटी केॅ सब्बे खाय हे।

अषाढ़ हे सखी कोसी पनार भेड़ा, बडुवा चानन भरी जाय हे
गेरूआ गग्गरा चम्पा, गंगा जमुन के, धारोॅ सेॅ मिली केॅ हड़ाय हे।

सावन हे सखी पोठिया मछरिया, पोखरी में करै खेलवाड़ हे
हेली हेली पनिया भौजी बहिनिया, भैया सेॅ करै नैना चार हे।

भादो हे सखी करमा बरतिया, पोखरी खनावै साजै झूर हे
भैया मल्हवा पारेॅ उतारै, बहिनी दै आशिष भरपूर हे।

आसिन हे सखी विजयादसमी, लंकापति के निस्तार हे
लंका के राजा बनलै, सखा विभीषण, रामजी रॉे राज विस्तार हे।

कातिक हे सखी भाय यम दुतिया, यम द्वारे काँटो कुसार हे
जमुना नहावै संगे, भैया बहिनिया, पावै जीवन सुख सार हे।

अगहन हे सखी गौरी पूजन गेली, राजा जनक फूलवाड़ हे,
बगिया मेॅ भेंटी गेलै, सुन्दर सुकुमार छैला, अवध के राजकुमार हे।

पूस हे सखी धुकधुकिया रौदो में, दिनमा बितैछै अकुलाय हे,
रतिया अन्हरिया के, छितरैलो अँचरा, बहियाँ धरैतेॅ बीती जाय हे।

माघ हे सखी तिला संक्रान्ति, बौंसी पपहरनी असनान हे,
बाबा मधुसूदन, दरसन पूजन, गुड़ चूड़ा दही मूढ़ी सान हे।

फागुन हे सखी खेत खलिहनमा, धानो के अटिया रोॅ टाल हे,
डाँग डँगौनी, उसना सुखौनी, कोठी कोठिलवा निहाल हे।