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चैत हे सखी सेमल सुषमा, टेसू पलासो के फूल हे
रत रत आँखी सेॅ बरसै, गोले गोल मोती, चंदा बसन्ती शूल हे।
बैसाख हे सखी खिल्ली लगावै, खावै खिलावै खिलवावै हे
नल दमयन्ती के, कथा सुनाबै, पासा चौपड़ खेलवावै हे।
जेठ हे सखी निर्जल एकादशी, शुद्ध हृदय अपनाबो हे
आस्था विश्वास केॅ, पुख्ता करी केॅ, हरि मेॅ चित्त लगाबो हे।
अषाढ़ हे सखी ऋतुरानी बरसा, हरियर करी सिंगार हे,
मोती के लड़ी झड़ै बूँदी के बूटा, रहसी रहसी वन विहार हे।
सावन हे सखी इन्द्र धनुष नभ, दामिनी दमकै छै जोर हे
मेघा मंडल मझ, चमकै बिजुरिया, केली करै चितचोर हे।
भादो हे सखी खल खल लहरिया, नैया नवेरिया बही जाय हे
माँझी के गीत गूँजै, चाननी रतिय, हियरा हियाब फटी जाय हे।
आसिन हे सखी दृष्टि रूपा, योगनिद्रा जगमयी
संध्या सावित्री, परम जननी, सैम्यमयी मा सुरमयी।
कातिक हे सखी सनपेटारा, टिमटिमाबै ऊँच्चो बाँस हे
हुक्का पाती खेली, फोड़ै पड़ाका, फूलझड़ी नागफाँस हे।
अगहन हे सखी हेमन्त ऋतु में, सीया के सजलै बरियात हे
हाथी घोड़ा रथ, आजन बाजन, मिथिला झकाझक रात हे।
पूस हे सखी संक्रान्ति दिनमा, गंगासागर असनान हे
कपिल मुनि के दर्शन, पूजन अर्चन, सगर भगीरथ के गान हे।
माघ हे सखी चौदह रतन धन, मंथन समुद्र करी पाय हे
कौस्तुभ ऐरावत, लक्ष्मी रम्भा, कामधेनु धन्य गाय हे।
फागुन हे सखी चिहुँकै चिरैइया, भरमावै चन्दन वन मोर हे
विरहिन के कंगना खनकै, आधी आधी रतिया, चितवा चोरावै चितचोर हे।