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चैत हे सखी भैया घटेसर, भौजो दुलारी कुल्हैन हे
टिकवा टिकुली लच्छा, सेनुरा बेसाबै, ढकनी बेसाबै कुम्हैन हे।
बैसाख हे सखी पैरबा सिरूआ, चूल्हो चक्की ठंडाय हे
बसियौरा भात बासी, पानी बिसौली के, अंग अंगिनी अंगाय हे।
जेठ हे सखी दसमी शुक्ला, गंगा अवतरण तिथि जान हे
शिव के जटा सेॅ चली, धरा उतरली, भागीरथी वरदान हे।
अषाढ़ हे सखी गीतो के रानी कजरी, सब रो गल्ला के कंठहार हे
अमुआ के डारी गोरी, झूला पर पेंगा मारी, कजरी के करै गुंजार हे।
सावन हे सखी गग्गरा पोखरी, चम्पा नहावै लेॅ जाय हे
सब्भे सखी मिली, हेलै हेलावै, चम्पक वन हलसाय हे।
भादो हे सखी नदिया के धार बीच, डोलै छै नैया संग पाल हे
मल्हा जे तान छेड़ै, सुर सेॅ नवताल मिलै, हौले हिलकोरै डोलै ताल हे।
आसिन हे सखी सुर सुरेश्वरी, रक्तदन्ती परमेश्वरी
विष्णु के अनुपम शक्ति, पुष्टि क्षमा तुष्टि, आसुरी मुक्तेश्वरी।
कातिक हे सखी दीप ज्योति, ज्ञान शक्ति जगावै हे
गुरू कृपा सेॅ, भागै अन्हरिया, जगमग अमसिया भावै हे।
अगहन हे सखी सीया स्वयंवर, तोड़े धनुष सिरी राम हे
शिव धनु भंग देखी, अनुज लखन सेॅ, उलझै परसुराम हे।
पूस हे सखी कन कन ठहार लागै, ऐंगना बिछौना भनसा घोॅर हे
बोरसी के लिट्टी भट्टा, बैंगन के चोखा, खायछी बैठी केॅ मोरको तोॅर हे।
माघ हे सखी वही रे मंदराचल, देव दनुज तप ध्यान हे
मधु कैटभ वध करी, विष्णु कहावै, मधुसूदन भगवान हे।
फागुन हे सखी पियवा होलिवा, मारै गुलेलवा के बाण हे
सरगत चुनरिया, तीक्खो नजरिया, चाभै रसपुआ पकवान हे।